कार में बम, बाल्टी में बम, बम के धमाके, फायरिंग, घरों में तोड़फोड़, वाहनों में आग, पब्लिक के बीच कमर में पिस्टल फंसाकर घूम रहे नेता। ये माहौल पश्चिम बंगाल का है। राज्य में 8 जुलाई को पंचायत चुनाव होने हैं। चुनाव से पहले हिंसा होना रिवाज जैसा है। इस बार भी शुरुआत हो चुकी है। 9 जून से 15 जून तक नॉमिनेशन हुए और इसी के साथ बमबाजी, गोलीबारी, आगजनी, एक-दूसरे पर हमले भी शुरू हो गए। एक हफ्ते में 6 लोगों की हत्या हो चुकी।
11 जून को मुर्शिदाबाद जिले के डोमकाल इलाके से पुलिस ने TMC नेता बसीर मोल्लाह को अरेस्ट किया था। उनके पास पिस्टल मिली थी। बसीर सारतपुर जोन में TMC के सभापति हैं।
कूचबिहार जिले के दिनहाटा में 17 जून की शाम BJP कार्यकर्ता शंभू दास की हत्या कर दी गई। 28 साल के शंभू दास की डेडबॉडी घर के पास खेत में मिली। उनकी भाभी चुनाव लड़ रही हैं। आरोप है कि इसके बाद से ही उन्हें धमकियां मिल रही थीं। इससे पहले दिनहाटा में ही BJP नेता प्रशांत रॉय बसुनिया की घर में घुसकर हत्या कर दी गई थी।
हिंसा रुकेगी नहीं, ये बात कोलकाता हाईकोर्ट ने भी समझी। आदेश दिए कि सभी जिलों में सेंट्रल फोर्स तैनात करके ही चुनाव करवाए जाएं। हालांकि ममता सरकार और पश्चिम बंगाल का चुनाव आयोग इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट चले गए हैं। इस पर 20 जून यानी आज सुनवाई होनी है।
नॉमिनेशन के पहले दिन 9 जून को मुर्शिदाबाद के खारग्राम में TMC समर्थक कांग्रेस के कार्यकर्ताओं से भिड़ गए थे। इस दौरान कांग्रेस नेता फूलचंद शेख की मौत हो गई थी।
ममता ने वर्कर्स से हिंसा न करने के लिए कहा, पर कोई असर नहीं
पश्चिम बंगाल में ग्राम पंचायत की 63,239, पंचायत समिति की 9,730 और जिला परिषद की 928 सीटों पर चुनाव होंगे। बंगाल में TMC की सरकार है, लेकिन वो हिंसा रोकने में अब तक फेल ही रही है। CM ममता बनर्जी और उनके सांसद भतीजे TMC महासचिव अभिषेक बनर्जी ने वर्कर्स से हिंसा न करने की अपील की, कई जगह नॉमिनेशन करने आए अपोजिशन लीडर्स को फूल दिए गए, लेकिन इसका कोई असर नहीं हुआ।
पिछले चुनाव में भी हिंसा की वजह से अपोजिशन पार्टी के ज्यादातर कैंडिडेट्स नॉमिनेशन फाइल नहीं कर पाए थे। इससे TMC 34% सीटें निर्विरोध जीत गई थी, यानी इन सीटों पर चुनाव ही नहीं हुए। हालांकि, इन जगहों पर हुई हिंसा का असर लोकसभा चुनाव में दिखा और BJP ने 2019 में बंगाल में पहली बार 42 में से 18 सीटें जीती थीं।
पुलिस को पता था हथियार जमा हैं, पर एक्शन नहीं
मुर्शिदाबाद, साउथ 24 परगना, नॉर्थ 24 परगना और नॉर्थ दिनाजपुर जैसे जिलों में ज्यादा हिंसा हुई है। खास बात ये है कि इंटेलिजेंस रिपोर्ट में पहले ही बताया गया था कि इन जिलों में बड़ी मात्रा में हथियार और गोला-बारूद जमा किया गया है। इसके बावजूद पुलिस ने एक्शन नहीं लिया। धारा- 144 लगी होने के बावजूद भीड़ जुटती रही और कहीं बमबाजी, तो कहीं फायरिंग हुई।
मुर्शिदाबाद जिले में चुनाव के नॉमिनेशन के बाद से ही हिंसा हो रही है। यहां के हरिहरपाड़ा, लक्ष्मीपुर और रानीनगर में खेतों में छिपाकर रखे बम मिल रहे हैं।
नॉमिनेशन के पहले दिन 9 जून को मुर्शिदाबाद के खारग्राम में TMC समर्थक कांग्रेस के कार्यकर्ताओं से भिड़ गए। इसमें कांग्रेस नेता फूलचंद शेख की मौत हो गई। तीन लोग घायल भी हो गए। दक्षिण 24 परगना जिले के भांगड़ में इंडियन सेक्युलर पार्टी यानी ISF के कैंडिडेट महिउद्दीन मोल्ला पुलिस सिक्योरिटी में नॉमिनेशन फाइल करने जा रहे थे, तभी TMC समर्थकों ने फायरिंग शुरू कर दी।
फायरिंग होते ही पुलिसवाले भाग गए। महिउद्दीन मोल्ला की मौके पर ही मौत हो गई। चार लोग जख्मी हो गए। फायरिंग में TMC के भी दो वर्कर राशिद मोल्ला और राजू सरदार मारे गए।
गुरुवार, 15 जून की शाम TMC वर्कर हजबीबिडंगा गांव पहुंचे। आरोप है कि उन्होंने कांग्रेस नेता आलम शेख को धमकाया। आलम पहले TMC में थे। कुछ समय पहले उन्होंने कांग्रेस जॉइन कर ली थी। TMC सपोर्टर गांव पहुंचे तो वहां भी कुछ लोग जमा हो गए। ये देख TMC के लोग लौट आए। कुछ देर बाद वे ज्यादा तादाद में फिर गांव पहुंचे और फायरिंग शुरू कर दी।
कांग्रेस कैंडिडेट रामजन शेख के पिता मेहरूल्लाह के सिर पर गोली लगी। उनकी हालत अभी क्रिटिकल है। उन्हें गोली लगने की खबर इलाके में फैली, तो तनाव का माहौल हो गया। TMC के जोनल प्रेसिडेंट मोजम्मेल शेख की भी मौत हो गई। पुलिस ने इस मामले में 7 लोगों को अरेस्ट किया है।
15 जून की ही दोपहर हिंसा की एक और घटना हुई। यहां लेफ्ट-कांग्रेस अलायंस के दो वर्कर नॉर्थ दिनाजपुर में घायल हो गए। भांगड़, 24 परगना, डोमकल, रानीनगर, इस्लामपुर में फायरिंग हुई।
15 जून को साउथ 24 परगना जिले में दो लोगों की मौत हुई थी। हिंसा के बाद गवर्नर सीवी आनंद बोस ने जिले का दौरा किया था।
17 जून को मालदा में TMC के उम्मीदवार मुस्तफा शेख की पीट-पीटकर हत्या कर दी गई। सुजापुर में रहने वाले मुस्तफा शेख पर घर लौटते वक्त हमला किया गया। शेख पहले भी प्रधान रह चुके थे। TMC ने उनकी हत्या का आरोप कांग्रेस के कार्यकर्ताओं पर लगाया है।
BJP नेता और नेता प्रतिपक्ष शुभेंदु अधिकारी कहते हैं कि, 'अपोजिशन कैंडिडेट्स को नॉमिनेशन फाइल करने से रोका गया। कोर्ट ऑर्डर के बाद 82 कैंडिडेट्स पुलिस सुरक्षा में नॉमिनेशन करने गए, उन पर भी हमले हुए। पुलिस भाग खड़ी हुई। भांगड़ में ISF वर्कर्स पर हमला हुआ। नाजत, मिनाखन में BJP-CPM के नेताओं पर हमले हुए।'
बम रिकवर किए, लेकिन गिरफ्तार किसी को नहीं कर पाए
मुर्शिदाबाद में पुलिस ने 54 बम रिकवर किए, लेकिन किसी को गिरफ्तार नहीं कर पाई। वहीं डोमकल में पुलिस ने कांग्रेस-CPM के 56 वर्कर्स पर FIR दर्ज की है। TMC के एक नेता को हथियारों के साथ अरेस्ट किया है। इसी बीच TMC के नबाग्राम के ब्लॉक प्रेसिडेंट इनायतुल्ला शेख का वीडियो भी वायरल हुआ, जिसमें वो मर्डर की धमकी दे रहे हैं।
सीनियर जर्नलिस्ट स्निग्धेंदु भट्टाचार्य कहते हैं, ‘सरकार हिंसा तो रोक नहीं पाई, लेकिन इस बार अपोजिशन की तरफ से जो नॉमिनेशन फाइल हुए हैं, वो 2018 से ज्यादा हैं। ज्यादा नॉमिनेशन फाइल होने से TMC के लिए चुनावी लड़ाई आसान नहीं होगी।’
चीफ सेक्रेटरी रहे राजीव सिन्हा के हाथ में चुनाव आयोग की कमान, ऑल पार्टी मीटिंग नहीं बुलाई
बंगाल के चुनाव आयोग पर हमेशा से ही सवाल खड़े होते रहे हैं। आरोप लगते हैं कि आयोग सत्तारूढ़ पार्टी के इशारे पर काम करता है। 7 जून को राज्य के चीफ सेक्रेटरी रहे राजीव सिन्हा को मुख्य चुनाव आयुक्त बनाया गया है।
7 जून को अपॉइंटमेंट के अगले ही दिन सिन्हा ने इलेक्शन का शेड्यूल जारी कर दिया था। हर बार की तरह ऑल पार्टी मीटिंग भी नहीं बुलाई गई। उनसे इस बारे में सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि ऑल पार्टी मीटिंग बुलना मेंडेटरी नहीं है।
वहीं बंगाल कांग्रेस के अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी का कहना है कि, ‘राज्य चुनाव आयोग का कंट्रोल CM के भतीजे अभिषेक बनर्जी के हाथ में है।’
वहीं, नेता प्रतिपक्ष शुभेंदु अधिकारी का कहना है कि ‘स्टेट इलेक्शन कमिश्नर मुख्यमंत्री के एजेंट हैं।’ अधिकारी की पिटीशन पर ही कोलकाता हाईकोर्ट ने चुनाव में सेंट्रल फोर्स तैनात करने के आदेश दिए हैं।
पंचायत पर कमान जरूरी, यहीं से लोकसभा की जीत का रास्ता निकलेगा
बंगाल में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव व्यवस्था है। सभी पार्टियां चुनाव जीतने के लिए ताकत लगा रही हैं, क्योंकि इसके जरिए रूरल पॉलिटिक्स पर कंट्रोल हो सकेगा। अगले साल लोकसभा चुनाव में भी फायदा मिलेगा।
इसके अलावा एक पंचायत को एवरेज 2 करोड़ और जिला परिषद को 300 से 500 करोड़ रुपए तक का फंड सेंट्रल और स्टेट गवर्नमेंट से अलग-अलग मदों में मिलता है। इस कारण भी पार्टियां पंचायतों में अपने लोग चाहती हैं।
TMC में सब कुछ ठीक नहीं, पार्टी नए और पुराने नेताओं में बंटी: सूत्र
सोर्सेज के मुताबिक, TMC पार्टी में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है। मालदा, मुर्शिदाबाद, बीरभूम जैसे जिलों में TMC के कई पार्टी वर्कर्स कांग्रेस-BJP और लेफ्ट में शामिल हो रहे हैं। ISF नॉर्थ और साउथ 24 परगना में TMC को चुनौती दे रही है। इससे TMC को मुस्लिम वोट बंटने का खतरा है। उसके कई सीनियर लीडर पहले से जेल में हैं।
कहा जाता है कि अभिषेक बनर्जी उन नेताओं को पसंद नहीं करते जो ममता के खास हैं और कई साल से सत्ता में हैं। वे नए चेहरों को मौका देना चाहते हैं। इसलिए पार्टी दो गुटों में बंट चुकी है।
2018 में एकतरफा जीती थी TMC...